फिर जाड़ा आया फिर गर्मी आई फिर आदमियों के पाले से लू से मरने की खबर आई : न जाड़ा ज्यादा था न लू ज्यादा तब कैसे मरे आदमी वे खड़े रहते हैं तब नहीं दिखते, मर जाते हैं तब लोग जाड़े और लू की मौत बताते हैं
हिंदी समय में रघुवीर सहाय की रचनाएँ