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कविता

ठंड से मृत्यु

रघुवीर सहाय


फिर जाड़ा आया फिर गर्मी आई
फिर आदमियों के पाले से लू से मरने की खबर आई :
न जाड़ा ज्यादा था न लू ज्यादा
तब कैसे मरे आदमी
वे खड़े रहते हैं तब नहीं दिखते,
मर जाते हैं तब लोग जाड़े और लू की मौत बताते हैं

 


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